बाबा नीब करौरी

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फरूखाबाद का रेलवे स्टेशन एक गाड़ी खड़ी थी। लोग गाड़ी पर चढ़-उतर रहे थे। इन्हीं यात्रियों में कम्बल लपेटे एक बाबा प्रथम श्रेणी के डिब्बे में सवार हो गये। अगले स्टेशन पर एक एंग्लो इंडियन टिकट चेकर आया प्रथम श्रेणी के डिब्बे में एक नेटिव साधु को देखकर वह क्रोध से जल उठा। वह यह जानता था कि भारत के अधिकांश साधु बिना टिकट रेल में सफर करते हैं। उसने ऐसे अनेक साधुओं को पकड़ा था लेकिन इस साधु की यह मजाल जो प्रथम श्रेणी में आकर बैठ गया? ब्रिटिश शासन काल था टिकट है या नहीं, बिना पूछे अगले