प्रेम की दास्तान जबलपुर शहर में राकेश और गौरव नाम के दो मित्र रहते थे। गौरव एक दिन नर्मदा के किनारे बैठकर चिंतन कर रहा था तभी अचानक किसी ने उसका नाम पुकारा। अपना नाम सुनकर गौरव ने पीछे मुडकर देखा तो राकेश केा देखकर अंचभित हो गया। गौरव ने उससे पूछा कि अरे भाई तुम यहाँ कैसे ? राकेश ने कहा कि मैं प्रतिदिन नियम पूर्वक नर्मदा जी के दर्शन के लिये आता हूँ परंतु तुम यहाँ कैसे ? गौरव ने कहा मैं अचानक ही नर्मदा दर्शन हेतु आया था और यहाँ बैठकर अपने प्रारंभिक जीवन के चिंतन में