c खण्डकाव्य रामगोपाल भावुुक’की कृति रत्नावली’’ का भावानुवाद रचयिता :- अनन्त राम गुप्त बल्ला का डेरा, झांसी रोड़ भवभूति नगर (डबरा) जि. ग्वालियर (म.प्र.) 475110 षोड़ष अध्याय – काशी दोहा – गोस्वामी जा दिन गये, चल काशी की ओर। तब से सबके मन उठे, काशी चलन हिलोर।। 1 ।। मिलते जबही लोग पुराने। काशि गमन की चर्चा ठाने।। यों चरचा फैली सब ग्रामा। मैया चले बने तब कामा।। गणपति मां भगवती बाई। सोमवती पारो जुर ऑंई।। रतना से मिलना ठहराई। स्वागत कर आसन बैठाई।। पारवती बोली हरषाई। सभी गांव के म