24 साथी मेरे एकांत के एकांत के पल में रात छत पर, मन अंबर में उमड़ते-घुमड़ते हैं विचारों के बादल और बनने वाली अनेक भूरी,मटमैली,काली,धुंधली,सफेद आकृतियों में चित्रपट से उभरते हैं दृश्य अनेक, रात्रि में अंबर के चंद्र को देखकर किलकारी भरता बच्चा और उसे पकड़ने की जिद करते बच्चे की दोनों हथेलियां मोड़ कर चंद्र को पकड़ने का उपक्रम करवाती मां, इस क्षण को अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने को तत्पर। नौकरी की खोज में अपना रिज्यूम लेकर दिनभर एक से दूसरी जगह भटकते युवा मन को नींद नहीं आने पर मध्य रात्रि को टहलते हुए छत पर,