- 9 - एक छोटा-सा परिवार एकत्रित हुआ तो माँ के घर में शादी जैसा त्योहार हो गया। सलोनी और नानी कोलकाता से पहुँच गईं। बड़की दीदी भाग्या अपने दोनों बच्चों के साथ आ गई तथा सिमरन भी सारा दिन नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ खेलने के लालच में वहीं रहने लगी। ख़ाली-ख़ाली रहने वाले परिवार के सदस्य अचानक व्यस्त रहने लगे। सलोनी ने नौकरी सम्बन्धी सारी औपचारिकताएँ पूरी कर दीं। स्कूलों में ग्रीष्म अवकाश की छुट्टियाँ चल रही थीं, इसलिए एक जुलाई से स्कूल खुलेंगे तो सलोनी की ड्यूटी चालू हो जाएगी। बचपन से सलोनी की आदत थी, वह अपने