- 5 - सलोनी घर लौटी तो नानी मोबाइल पर माँ से बातें कर रही थी। उसे देखते ही नानी ने कहा, ‘लो, सलोनी भी आ गई है, उसी से बातें कर ले,’ कहते हुए नानी ने फ़ोन सलोनी को सौंप दिया। ‘प्रणाम माँ।’ ‘ख़ुश रहो बेटी सलोनी।’ ‘कैसी हो माँ?’ ‘कैसी हूँ, मैं क्या बताऊँ? कुछ समझ नहीं आ रहा, क्या करूँ? बड़की की शादी हुए तीन माह बीत गए। तुम तो नानी के साथ चली गई। सारा दिन घर मैं अकेली …। दिन पहाड़-सा लगता है। ना कुछ खाने को मन करता है, ना कुछ बनाने को। सुबह