अपना अपना सच

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अपना-अपना सच *अंशु "अनामिका, अगर चाचाजी या चाचीजी को पता चल गया तो।" रागिनी की इस बात का कोई उत्तर नहीं था अनामिका के पास। वह उत्तर दे तो भी क्या दे। उसकी लंबी सांसों में जवाब कहां थे, बस सवाल छुपे हुए थे। वो सवाल जो उसका मन अपने आप से पूछे जा रहा था। पता नहीं पापा क्या कहेंगे। पता नहीं माँ क्या सोचेगी। इन प्रश्नों से अधिक विकट प्रश्न यह था कि वह जो करने जा रही थी इसके परिणाम क्या होंगे। अपना पक्ष रखना सरल तो होता है परंतु वह न्यायसंगत है अथवा स्वार्थपूर्ण, तार्किक है