कुछ दुआ तो कुछ बधदुआओं ने मारा मुझे तो इस शहर की हवाओ ने मारा जो कुछ रहे गया था बाकी मुझमें वो सब हसीना की बलाओं ने मारा वो देखकर अक्सर मुस्कुरा दिया करता है कुछ तो हमें उसकी इन अदाओं ने मारा ना है जहा में अपन घर कोई ना है जहा को अपनी खबर कोई ना है कोई पीछे रोने वाला ना है अपनी मौत का डर कोई कहा जाना है कब जाना है क्यू जाना है ना मंजिल हैं ना है सफर कोई कभी किसी ने कहा