सफेद रंग - भाग 3

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बाबा आए तो मुझे आवाज लगा दियो, अच्छा ठीक है ,इतना कहकर मुन्नी की माँ ने चुप रहना बेहतर समझा। इंतजार करते-करते अब मुन्नी सो चुकी थी,उधर मुन्नी की मां बड़बड़ा रही थी कि किधर रह गए समय का कुछ भी ख्याल नहीं है इनको ,तभी दरवाज़े से आवाज आई कि वो गिरधर की वजह से लेट हो गया मैं, उसने लड़के वालों के यहां फोन मिला दिया था, इतना सुनते ही मुन्नी की मां बरस पड़ी,इतनी जल्दी काहे कर रहे हो हमारी मुन्नी कहीं भागी थोड़ी जा रही है,अरे मुन्नी कि मां तुमको नहीं समझ आएगा ई रिश्ता हाथ