साधारण लोग शरीर की शक्ति को ही सर्वोपरि मानते हैं उनकी समझ में जो आदमी जितना हट्टा कट्टा पोस्ट और मजबूत शरीर वाला होता है वह उतना ही शक्तिशाली होता है जो मनुष्य 40-50 किलो भजन आसानी से एक जगह से उठाकर दूसरी जगह रख सकता है जो मोटरसाइकिल को पकड़कर रोक सकता है लोहे की मोटी क्षण को मोड़ सकता है उसे बहुत बलवान माना जाता है किंतु एक ऐसा मनुष्य जो 20 किलो वजन भी नहीं उठा सकता वह ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति को ललकार देता है और उसे अपनी इच्छा के अनुसार चलने को मजबूर कर देता है