परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग22 - भक्तवत्सल भगवान् का दर्शन

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[प्रह्लाद को वरदान, चतुर्थ बार राजसभा में प्रह्लाद की परीक्षा, प्रह्लाद के प्रति पिता का प्रेम]प्रह्लादजी इस बार गुरुकुल में राजनीति की शिक्षा पाने लगे और उनके सहपाठी दैत्यबालक भगवद्भक्ति के रहस्यों की शिक्षा में लीन होने लगे। गुरुओं को राजकुमार की बुद्धि प्रखरता देख, बड़ी प्रसन्नता हुई। उन लोगों ने समझा कि अब ये राजनीति के चक्कर में पड़कर भक्ति-भावना को भूल गये हैं। जब-जब गुरुवरों ने प्रह्लाद की परीक्षा ली तब-तब उन्हें राजनीति में पूरा पण्डित पाया। अतएव षण्ड और अमर्क अब फूले नहीं समाते थे। उन लोगों ने समझा कि इस बार राजकुमार के पिताजी से हमको