[स्वल्पकाल में ही ज्ञान प्राप्ति] महाराज शुक्राचार्य के सुपुत्र षण्ड और अमर्क यद्यपि बड़े योग्य विद्वान् थे, शास्त्र में तथा लोक व्यवहार में भी बड़े निपुण थे और दैत्यराज की राजसभा के वे राजपण्डित भी थे, तथापि उनकी बुद्धि क्रूर और उनका हृदय कठोर था। असुरों के संसर्ग, उनके अन्न-जल के प्रभाव और असुर बालकों को आसुरी शिक्षा देते-देते वे इतने निर्दय हो गये थे कि जो एक विद्वान् के लिये, शुक्राचार्य के पुत्रों के लिये तथा अध्यापक जैसे पवित्र पद के लिये सर्वथा कलंक की बात थी। एक ओर उग्र और क्रूर प्रकृति के अध्यापक थे, जो बात-बात में