गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 33

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भाग 32: जीवन सूत्र 35: योग:जीवन में जोड़ने की सकारात्मक विद्या भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है:- बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।।2/50।। इसका अर्थ है,हे अर्जुन!समत्वबुद्धि वाला व्यक्ति जीवन में पुण्य और पाप इन दोनों कर्मों को त्याग देता है(इनके द्वंद्वों से मुक्त हो जाता है)इसलिए तुम योग से युक्त हो जाओ। कर्मों में कुशलता ही योग है।। आधुनिक जीवन शैली की भागदौड़, चिंता और तनाव को दूर करने का सरल उपाय योग है। योग 'युज' धातु से बना है।जिसका अर्थ है जुड़ना,जोड़ना मेल करना। अगर हमारी बुद्धि सम हो जाए,तो जीवन की समस्याएं