परम भागवत प्रह्लादजी -भाग9 - महारानी का कयाधू को महर्षि नारद का महोपदेश

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[गर्भस्थ प्रह्लाद को ज्ञानप्राप्ति]एक दिन जब कि, गर्भस्थ प्रह्लाद अधिक चैतन्य हो चुके थे और पूर्वजन्म के प्रभाव से उनको श्रवणादि विषयों का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त हो चुका था, तब महर्षि नारदजी ने एकान्त में महारानी कयाधू को सम्बोधित करके बहाने से, गर्भस्थ बालक प्रह्लाद को ज्ञान का मर्म सुनाया था। महर्षि नारदजी ने जो महोपदेश दिया था वह संक्षेप में इस प्रकार था —महर्षि नारद– “बेटी कयाधू! मानवजीवन क्षणभंगुर है। अतएव इस शरीर को स्थायी समझ किसी धार्मिक कार्य को टालते हुए व्यर्थ कालक्षेप (समय बिताना) करना भूल है। बालकपन से ही जो भगवान् लक्ष्मीनारायण की अनन्य भक्ति अथवा