कुछ द़िन पहले मेरी मुलाकात एक ‘लाडो मित्र’ से हुई। जो गांव-ढाणियों में जाकर 'बेटी शिक्षा' कार्यक्रम का प्रचार करती हैं। मैंने बस ऐसे ही उससे पूछ लिया कि क्या तुम्हें जागरुकता के दौरान ऐसा कोई घर मिला जहां पर बेटी का बिल्कुल भी मान-सम्मान नहीं...। पहले तो उसने यही बताया कि ऐसे तो बहुत सारे घर मिलें...। लेकिन मेरा काम सिर्फ शिक्षा के बारे में जागरुक करना हैं। इसीलिए मैंने उस बारे में ज़्यादा सोचा नहीं...। अपने सवाल को और अधिक स्पष्ट करते हुए मैंने फिर से लाडो मित्र से पूछा कि, तुम तो पिछले कई सालों से इस