नाज अपने कमरे में गहरी सोच में डूबी हुई थी वह बेड के किनारे पर बैठते हुए बाहर की ओर देख रही थी । कभी उसके कमरे का दरवाजा खुलता है । वह बिना मुड़े गुस्से में कहती है ।नाज: साद मैने हजारों दफा कहां है की बिना इजाजत के कमरे में ना आया कर एक बार में तुझे समझ नहीं आता!? ( वह पीछे मुड़ती है तो सलीम था । वह जल्दी से खड़ी होते हुए कहती है । ) सलीम भाई... आप यहां!?।सलीम: अम्मी तुम्हे नीचे बुला रही है! ।नाज: आप चले... मैं आती हू...! ।सलीम सिर को