कुदरत जब सितम-ज़रीफ़ी (अत्याचार करने) पर उतर आए तो हज़रत इंसान का तमाशा बना देती है। ठाकुर साहब हरनाम सिंह ने कभी ख्वाब में भी न सोचा था कि उन्हें इतने बड़े इम्तिहान से दो-चार होना पड़ेगा। या तो औलाद देने ही में ख़ुदा ने गफ़लत की और जब दिए तो एकदम दो बेटे! बेटा तो उनके यहाँ एक ही पैदा हुआ लेकिन एक से दो कैसे हो गए? ये भी एक अजीबो-गरीब किस्सा है।ठकुराइन जब ब्याह कर आई थीं तो मुश्किल से पंद्रह साल की होंगी। राजस्थानी हुस्नो-जमाल का अछूता मुजस्समा (साकार रूप), ठाकुर साहब उनसे बारह साल बड़े