भाग 28: जीवन सूत्र 30:खुद पर रखें भरोसा, ईश्वर होंगे साथ खड़े गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है:- त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन। निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्।(2/45)। इसका अर्थ है,वेद तीनों गुणों के कार्य रूप का ही वर्णन करनेवाले हैं; हे अर्जुन! तू तीनों गुणों से अर्थात इनसे संबंधित विषयों और उनकी प्राप्ति के साधनों में आसक्ति से रहित हो जा, निर्द्वन्द्व हो जा, परमात्मा में स्थित हो जा, योग(अप्राप्ति की प्राप्ति)क्षेम (प्राप्त वस्तु की रक्षा) की इच्छा भी मत रख और आत्मा से युक्त हो जाओ। वेद का लक्ष्य परमात्म तत्व से मेल कराने वाले हैं, लेकिन इसके