स्वप्न--भुलाए नही भूलता-3

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टेंट बड़े लगाए गए थे।एक टेंट में 10 केडिट को रखा गया था।कैम्प की दिनचर्या बड़ी व्यस्त थी।सुबह पांच बजे ही अलार्म बज जाता।नित्य कर्म से जल्दी जल्दी निवर्त होकर पीटी, खेल अन्य कार्यक्रम रात दस बजे तक लगातार चलते रहते।आराम तभी मिलता जब रात को टेंट में अपने बिस्तर पर हम लेटते।और रात को बिस्तर में लेटते ही वह स्वप्न नींद में चला आता।दिन में व्यस्त जरूर रहता लेकिन मन न लगता।क्योकि दिन में जगते हुए भी मुझे वह सपना नजर आता था।माउंट आबू के इन सी सी कैम्प में गुजारे वो दस दिन भयंकर यंत्रणा से भरे हुए