द्वापर युग में कुबेर जैसा धनवान कोई नहीं था। उसके दो पुत्र थे। एक का नाम नलकूबेर था और दूसरे का मणिग्रीव। कुबेर के ये दोनों बेटे अपनी पिता की धन-संपत्ति के प्रमाद में घमंडी और उद्दंड हो गए थे। राह चलते लोगों का छेड़ना, उन पर व्यंग्य कसना, गरीब लोगों की मखौल उड़ाना उन दोनों की प्रवृत्ति बन गई थी। एक दिन दोनों भाई नदी में स्नान कर रहे थे। तभी आकाशमार्ग से आते हुए उन्हें देवर्षि नारद दिखाई दिए। उनके मुख से 'नारायण-नारायण' का स्वर सुन कर नदी पर स्नान के लिए पहुँचे लोग उन्हें प्रणाम करने लगे,