परम् वैष्णव देवर्षि नारद - भाग 12

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[शुकदेवजी को ज्ञानोपदेश]यद्यपि परम तपस्वी एवं त्यागी मुनिप्रवर शुकदेवजी स्वयं परमज्ञानी एवं बड़े तपस्वी थे और उनकी भागवत-वृत्ति जगत्भर में प्रसिद्ध थी, तथापि उनकी ज्ञानगरिमा को बढ़ानेवाली, भगवद्भक्ति को पल्लवित करने वाले, शान्तिमय, अहिंसामय तथा सनातनधर्म के अनुसार गीता के महामन्त्र का उपदेश देकर, पांचभौतिक शरीर से मुक्त कर उनको दिव्य शरीरधारी बनाने वाले थे, उनके गुरुवर देवर्षि नारद। जिस समय शुकदेवजी अपने पूज्यपाद पिता कृष्णद्वैपायन वेदव्यास को पुत्रवात्सल्यरस में निमग्न कर तपोवन को चले गये, उस समय भगवदिच्छास्वरूपदेवर्षि नारदजी उनके निकट जा पहुँचे। देवर्षि नारद को सामने देख शुकदेवजी उनका सम्मान करने के लिये उठ खड़े हुए और यथाविधि