12 नियति का खेल मैं परिवार सहित हरिद्वार गंगा स्नान करने आया था। हरि की पैड़ी पर गंगा स्नान करने के बाद हम लोग होटल की ओर लौट रहे थे। मेरी पत्नी वहाँ बैठे भिखारियों को फल बांटने लगी। मैं भी उनके साथ था। अचानक मेरी नजर एक भिखारी पर पड़ी। उन्नत ललाट बड़ी-बड़ी आँखें चैड़े कन्धे, उन्नत ग्रीवा, लम्बी कद काठी, सफेद बाल और बढ़ी हुई सफेद दाढ़ी। उसने सादा मगर साफ कपड़े पहने हुए थे। मुझे उसका चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा लगा। उससे मेरी पत्नी से फल लिये निश्चिन्त भाव से बैठा उन्हें खा रहा था। मैं ठिठक