अनंत का विज्ञान

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अनंत का विज्ञान यह संपूर्ण ब्रह्मांड तीन गुणों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम धनात्मक पॉजिटिव ऋण आत्मक नेगेटिव और शून्य कहते हैभगवान शिव प्रारंभ में ब्रह्मा के साथ मिलकर प्रगति की रचना करते हैं जिसे धनात्मक कहा जा सकता है और अंत में शिव भगवान विष्णु के अवतारों के साथ मिलकर प्रगति का विनाश करते हैं जिसे रण आत्मक ता कहा जा सकता हैवास्तविकता में शून्य में ही धनात्मक था और नेगेटिविटी दोनों ही विद्यमान हैइस प्रकार एक अर्ध चक्र पूरा होता है इसके बाद प्रतिबिंब प्रगति का अस्तित्व आता है जिसमें विपरीत क्रिया होती है जिसमें शिव