कैक्टस के जंगल - भाग 9

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9 पिंडदान रामकरन की ट्रेन अठारह मार्च को प्रातः दस बजे गया रेलवे स्टेशन पहुंची। वे अपने गृह जनपद अमेठी से अपनी पत्नी के साथ अपने पुरखों का पिंडदान करने गया आए थे। स्टेशन से उतरकर उन्होंने एक आटो किया और एक धर्मशाला में पहुंच गए। चौबीस घंटे की रेल यात्रा के कारण वे और उनकी पत्नी काफी थके हुए थे इसलिए दोपहर का भोजन करने के बाद वे सो गए। शाम को कुछ देर तक वे अपनी पत्नी के साथ गया के बाजार में घूमते रहे। एक-दो मंदिरों में गए और फिर धर्मशाला वापस लौट आए। अगले दिन वे