नमो अरिहंता - भाग 14

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(14) पूर्व जन्म ** सोनागिरि से वह क्लान्त लौटी थी और फिर धीरे-धीरे नर्क स हो गई थी। बी.ए. फाईनल का इम्तिहान सिर पर था, किंतु अपनी किताबों की धूल तक नहीं झाड़ी उसने। चौके का मुँह नहीं देखा-जो दे दिया गया, खा लिया। कोई दस बार बोला तो, एक बार हाँ-हूँ कर दी। फिर गुमसुम! एक स्थायी-सी चुप्पी तारी हो गयी थी। हैरान हो गया सेठ! और सेठानी भी। चिढ़ने लगी सुधा। ‘क्या हुआ है तुम्हें? तुझेऽ तुझेऽ!’ और उसका बक्वुर (बोल) नहीं फूटता। पहले इतना नहीं था। था तो! पर इतना नहीं था! यह सच है कि मम्मी