नमो अरिहंता - भाग 9

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(9) बीज ** जिस आचार संहिता में यह कहा गया है, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवताः’ अर्थात्-जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता वास करते हैं! उसी आचार संहिता में यह भी कह दिया गया है कि स्त्रियाँ साक्षात् नर्क का द्वार हैं।... सो, इस्लाम में ही नहीं, जैन में भी यह अपवित्र स्त्री धर्म और ईश्वर से थोड़ी दूर ही रखी गई है। सेठानी को जलाभिषेक (ईश्वर को नहलाने) का अधिकार नहीं था। गंध्योदक (मूर्ति स्नान का जल) वे अवश्य अपनी आँखों में और समस्त शुभ अंगों में लगा सकती थीं। और लगाना लाजिमी भी था। पर