(8) नए द्वार ** अहमदनगर जेल से छूटने के बाद वे पुणे-थाणे या मनमांड़ की तरफ भी नहीं गये। रेलवे स्टेशन ही नहीं पहुंचे आनंद बिहारी! क्या करते जाकर? लश्कर तो अब जाना था नहीं उन्हें! कौन-सा मुँह लेकर जाते?... जिस तरह अंग्रेज सरकार ने बागियों (स्वतंत्रता सेनानियों) को प्रख्यात जेलों में ठँस रखा था, जिसमें महाराष्ट्र में अहमदनगर की जेल भी एक नामवर जेल है। उसी तरह देसी सरकार ने उन्हें बागियों की तरह ही रातों-रात धर-दबोचकर इतनी दूर परदेस की जेल में ठूँस दिया! बिना कोई कारण, बिना किसी अपराध के । जबकि राजनीति से वे कोसों दूर