(5) दुःख ** बरसात बीत गई है। साधु विहार के लिये निकल पड़े हैं। एक दल गोहद की नसियाजी पर भी आ गया है। सेठानी की व्यस्तता बढ़ गई है। वैसे भी बारहों पूनो वे भोर में उठकर टट्टी-कुल्ला से निबटने के बाद झाड़ू-पोंछा करके , नल से घर का पानी भरने के बाद बाड़े में कुएँ पर चली जाती हैं। और वहाँ से स्नान करके घर न लौटकर सीधी मंदिर पहुँचती हैं। यहाँ उनकी एक आलमारी है। जिसमें पूजा वाली सामग्री-थाली, कलश, छोटी-छोटी कलशियाँ आदि रखी रहती हैं। अच्छी तरह साफ किये गये चावलों का एक डिब्बा, एक बाल्टी-रस्सी