नमो अरिहंता - भाग 3

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(3) प्रेरणा ** एक औसत लंबाई के पुरुष की अपेक्षा मामाजी जरा नाटे कद के श्यामवर्णी व्यक्ति थे। वे उत्सवधर्मी और धार्मिक प्रवृत्ति के भी खूब थे। संतान के रूप में उनकी मात्र दो बेटियाँ थीं, जिनके विवाहोपरांत अब वे सपत्नीक निश्चिंत जीवन जी रहे थे। कि अब कोई जिम्मेवारी, कोई खास दारोमदार न था उन पर। पुरोहिताई नहीं करते थे, फिर भी नगर की सभी जातियाँ ‘पालागन’ करती थीं उन्हें। कि कनागत (पितृपक्ष) में पूरी पंद्रहिया चूल्हा नहीं जलता उनके यहाँ! और एक खास बात और कि मामाजी चाहे पितृपक्ष में न्योता जीमने जायें या तेरहवीं-ब्याह भोज अथवा भागवत-भंडारे