अनसुनी यात्राओं की नायिकाएं - भाग 6

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प्रदीप श्रीवास्तव भाग 6 मैंने उससे कहा कि, मैंने घर मिसेज़, बच्चों से बात कर ली है. तुम्हारे पति का कोई नंबर हो तो बताओ, बात करा दूँ. इस पर वह बड़ी कड़वी हंसी हंस कर बोली, 'कैसा घर, वहां किसी को मेरी चिंता नहीं है. इसलिए बताया भी नहीं है कि, मैं आ रही हूं.' उसकी स्थिति समझते हुए, मैंने तुरंत विषय बदल कर कहा, 'कोई बात नहीं, चाय पीजिए ठंडी हो रही है. खाना वगैरह मिलने की तो अब कोई उम्मीद नहीं है. केला, संतरा जो हैं, वह भी आगे थोड़ा-बहुत काम देंगे.' वह चाय पीती हुई बोली,