अनसुनी यात्राओं की नायिकाएं - भाग 5

  • 3.3k
  • 1.7k

प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 मैं भी हंसा तो वह आगे बोली, 'जो भी हो, अपने मजे के लिए उन बेचारों को परेशान करना अच्छा नहीं था. दोनों ही बहुत ही शर्मीले हैं. मुझे दूध पिलाते देख उलटे पाँव लौट गए. आदमी दो बार बोला 'क्षमा कीजिएगा, क्षमा कीजिएगा.' बेचारे नए-नए मियां-बीवी हैं. पहली होली में बीवी को लेकर अपनी ससुराल जा रहा होगा. होई सकत है कि, हम लोगन की तरह उनकी भी ट्रेन छूट गई हो.' उनके लिए उसकी सहानुभूति देख कर मैंने कहा, ' घबराओ नहीं, मैंने उनकी ख़ुशी का भी पूरा ध्यान रखा है. उनके लिए भी