एक रूह की आत्मकथा - 42

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लीला ने सुबह -सुबह ही रेहाना के दरवाजे पर दस्तक थी।रेहाना अभी सो रही थी।आज रविवार था और उसे ऑफिस नहीं जाना था,इसलिए निश्चिंत थी।लीला को आया देखकर उसे मन ही मन गुस्सा आया।'फिर कोई नई प्रॉब्लम लेकर आई होंगी देवी'। ऊपर से मुस्कुराईं और उसे भीतर आने को कहा। "अभी तक सो ही रही थी ।?"लीला ने उससे पूछा "आज रविवार है छुट्टी का दिन।"रेहाना ने जम्हाई लेते हुए कहा। "छुट्टी का दिन है तो क्या,अपना रूटीन नहीं खराब करना चाहिए।मैं तो छह बजे तक नहा लेती हूँ।" "ठंड में भी!" "और क्या!" "बाप रे!" "जाओ जल्दी से फ्रेश