नामदेव का समय संवत् १३२७ वि० से संवत् १४०७ वि० है, इस पवित्र अवधि में उन्होंने दक्षिण और उत्तर भारत में संतमय की जिस प्रगाढ़ भगवद्भक्ति से परिपुष्टि की उसकी मौलिकता और अपूर्वता में तनिक भी संदेह नही किया जा सकता है। सिखों के 'आदि ग्रन्थ' में नामदेव की अगणित रचनाओं का संकलन इनकी महत्ता और परम् साधुता का परिचायक है। इनके इष्ट विट्ठल थे। महाराष्ट्र के पांच प्रमुख संतो में इनकी गणना होती है, संत ज्ञानदेव, संत एकनाथ, संत रामदास और सन्त तुकाराम की श्रेणी में वे परिगणित है। वे केवल महाराष्ट्र ही नही, समस्त भारत देश के तत्कालीन