प्रेम गली अति साँकरी - 18

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18 --- =========== काफ़ी देर हो गई थी आज, अम्मा कब की तैयार होकर कला-केंद्र यानि संस्थान चली गईं थीं| उन्होंने मुझे उठाया भी नहीं था | अब तक काफ़ी उजाला हो चुका था, अम्मा ने मुझसे कहा था कि संस्थान में चर्चा के लिए यू.के की कोई टीम आने वाली थी, मैं वहाँ की तैयारियाँ देख लूँ लेकिन कमाल था, मेरी भयंकर नींद ने मुझे न जाने कब दूसरी दुनिया में पहुँच दिया था | जिस प्रकार मैं हड़बड़ा कर उठी थी अम्मा या कोई और मुझे देखता तो ज़रूर परेशान हो जाता | मैं खुद भी चौंक उठी