ताश का आशियाना - भाग 21

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वहा से चारो निकल गए।शास्त्री जी अपने अपमान से तमतमा उठे थे, श्रीकांत ने शास्त्री जी के पूरे परिवार का उद्धार एक ही बैठक में जो कर दिया था।कुछ दिन तक इस विषय में कोई बात नही हुई।तब नवरात्रि के पर्व चालू थे, सब बनारस में एक नया जोश भर चुका था।रागिनी अपनी मां वैशाली के साथ मां दुर्गा के मंदिर में गई थी।उसकी मां थाल लेकर पूजा करने मंदिर के अंदर गई थी।वो बाहर ही अपनी स्कूटी से सटकर खड़ी थी की तभी एक औरत उसके पास आई।"जी कुछ चाहिए आपको?" पहले तो रागिनी ने उस औरत को पहचाना