परम् वैष्णव देवर्षि नारद - भाग 9

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त्रेतायुग में एक बार भयंकर अकाल पड़ा। वर्षा न होने से सब वनस्पतियां सूख गई। तपोवनों में भी कन्द-मूल तथा जल मिलना दुर्लभ हो गया। ऐसी स्थिति में कौशिक मुनि अपने परिवार को लेकर किसी ऐसी जगह की खोज में चले जहाँ जीवन-यापन के लिए अन्न-जल सुलभ तरीके से प्राप्त हो सके। वे चलते गए, चलते गए। दूर तक अकाल की छाया पड़ी थी। उनका सबसे छोटा पुत्र लगातार चलने में असमर्थ हो गया था। एक रात उन्होंने उसे एक वन में वृक्ष के नीचे सोता हुआ, ईश्वर के भरोसे छोड़ आगे चले गए। प्रातः जब बच्चा जागा तो उसने