एक बार अचानक देवराज इंद्र के हाथी ऐरावत को न जाने क्या जुनून सवार हुआ कि उसने खाना-पीना बंद कर दिया। क्रोध के मारे जैसे वह पागल हुआ जा रहा था। महावत ने उसे पुचकारा, तो ऐरावत सूंड ऊपर उठा कर चिंघाड़ा। उसने महावत को पकड़ने के लिए सूंड हवा में घुमाई। महावत पहले ही ऐरावत के मिजाज को भांप गया था, इसीलिए वह तेजी से पीछे हट गया और भागा-भागा देवराज इंद्र के पास आया। इंद्र उस समय कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने पहले ही संदेश भेज दिया था कि ऐरावत को खिला-पिलाकर लाया जाए। महावत