अग्निजा - 112

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लेखक: प्रफुल शाह प्रकरण-112 मानो केतकी ने बम विस्फोट कर दिया हो, ऐसी स्थिति हो गयी थी सभी की। वस्तुस्थिति को समझने में लोगों को कुछ क्षण लगे। क्या कहें, किस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त करें, किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था। कौन, किसे समझाए ऐसी स्थिति निर्मित हो गयी थी। जैसे तैसे संभलते हुए भिखाभा बोले, ‘लड़की नादान है, जिद्दी है, बड़बोली है...रणछोड़ चाय-नाश्ते की व्यवस्था देखो तो जरा...बाद में आराम से विचार करेंगे कि इस पर क्या रास्ता निकाला जाए...’ मीना बहन उठ गयीं, ‘अब चाय-पानी की आवश्यकता नहीं.... सबके सामने नाक काट कर चली