प्रेम गली अति साँकरी - 14

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14— उस दिन रतनी का चेहरा देखकर मैं बहुत असहज हो गई थी शायद यह सच है कि खराब बातों का असर बहुत जल्दी मनोमस्तिष्क पर पड़ता है और गहरा भी मेरे सामने अच्छे दृष्टांत भी तो थे जिनका असर बड़ा प्यारा और सकारात्मक था लेकिन इस परिवार का असर तो इतना नकारात्मक था कि कभी-कभी मुझसे सहन ही नहीं होता था देखा जाए तो मुझे क्यों उस सबसे इतना प्रभावित होने की ज़रूरत थी?क्या मालूम दुनिया में और कितने लोग इनके जैसे थे जिनका हमें पता भी नहीं चलता था लेकिन यही तो है न,