रात भर करवटे बदलते - बदलते राकेश सोने का निर्रथक प्रयास ही कर रहा था। पर नींद तो उससे कोसो दूर थी। सुबह किसी तरह अपने आप को थोड़ा हौसला देकर वह अपने आवश्यक डॉक्यूमेंट लेकर दिव्या के पास उनके पार्टी ऑफिस पहुँच गया जहाँ से बाद में उन्हें कॉलेज जाना था।आज पार्टी ऑफिस में काफ़ी भीड़ जमा थी। तेजसिंह भी अपने साथियों के साथ अभी तक वहाँ मौजूद था। लेकिन उसके मन में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी। उसने अंदर ही अंदर एक बड़ा प्लान बना लिया और भीड़ में उपस्थित अधिकतर विद्यार्थियों को गुपचुप तरीक़े से