बेला की शादी हो गई, वह हँसी-ख़ुशी से अपने नन्द किशोर के घर आ गई। मगर मोहन की पूरी दुनिया ही उजड़ गई थीं । उसने सोच लिया कि वह अपनी ज़िन्दगी ख़त्म कर देगा क्योंकि अब जीने का कोई फ़ायदा नहीं है। यही सोचकर, वह नहर में कूदने के उद्देश्य से चला गया और जैसे ही उसने छलाँग लगानी चाही, किसी ने उसकी बाजू पकड़ ली और उसने पीछे मुड़कर देखा तो बिरजू खड़ा था, मोहन, क्या करने जा रहा है? दिमाग बस में नहीं है, क्या? मोहन की रुलाई फूट पड़ी। और मोहन को ऐसी हालत में देखकर