यह गाँव बिकाऊ है-एम एम चन्द्रा

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समीक्षा यह गाँव बिकाऊ हैउंपन्यासएम एम चंद्रायुवा उपन्यासकार एम. एम. चंद्रा द्वारा रची जा रही उपन्यासत्रयी का दूसरा उपन्यास " यह गांव बिकाऊ है "डायमंड पब्लिकेशन से प्रकाशित हुआ है। इस उपन्यास में एम.एम.चंद्रा के भीतर बैठा किसान,खेती और गांव का जानकार- विमर्शकार व्यक्ति अपने पूरे कौशल,पूरे तर्क, विचारधारा और विजन के साथ उपस्थित हुआ है ।इसका शीर्षक चौंकाने वाला है । जिसे पढ़ कर पाठक सोचता है कि ऐसा कैसे मुमकिन है कि कभी कोई गाँव किसी हाट बाजार में बिकाऊ भी हो सकता है! सहज ही पाठक की जिज्ञासा और कौतूहल उपन्यास की ओर आकर्षित करता है ।