शाम का वक्त हो चला था। मानव अपने ख्यालों में गुम बस चलता ही जा रहा था। वो चलते-चलते कायरा के घर के नजदीक तक आ गया था। उसे इस बात का भी होश नहीं था कि उसका घर कायरा के घर से दूसरी ओर है। इस बीच वहां स्नेहा भी वहां पहुंची। उसने देखा मानव कायरा के घर के पास पहुंच रहा है। उसे लगा कि मानव कायरा से मिलने के लिए उसके घर जा रहा है, परंतु ऐसा था नहीं। मानव बस गुमसुम सा चले जा रहा था। स्नेहा जल्दी से कायरा के घर पहुंची और उसका हाथ