भगवान शिव की अभिव्यक्ति को समर्पित एक अष्टकम या अष्टक (आठ छंदों वाली प्रार्थना) है। इस महान मंत्र की रचना स्वामी तुलसीदास द्वारा 15वीं शताब्दी में की गई थी। रुद्र को भगवान शिव की भयावह अभिव्यक्ति के रूप में पूजा जाता है, जिनसे हमेशा भयभीत रहना चाहिए। भगवान महाकाल को प्रसन्न करने के लिए स्तुति का यह आठ गुना भजन गाया गया था।जो भी इसका पाठ करेगा, उस पर भगवान शिव अति प्रसन्न होंगे। रुद्राष्टकम की उत्पत्ति भगवान शिव के पवित्र शहर वाराणसी में गोस्वामी तुलसीदास (16 वीं शताब्दी ई.) द्वारा लिखित महान संस्कृत महाकाव्य रामायण में हुई है। तुलसीदासजी