आभासी दुनिया का एक सच, जब बच्चे ही आपस में कह रहे हैं क्या दिन थे वो जब हम यू पार्क में खेला करते...। क्या दिन थे वे जब हम मिट्टी में लोटमलोत हो जाया करते थे...। क्या दिन थे वे...जब हमारा बचपन यूं खिल खिलाता था...। गीता सोच में हैं, बड़ी ही हैरानी की बात हैं, जिस जनरेशन ने अपना बचपन अभी पूरा नहीं जिया है वो ही 'जनरेशन' कह रही हैं 'क्या दिन थे वो'....। 'जब हम स्कूल में पढ़ने जाया करते थे'...। घर के अहाते में बैठी अपने ही परिवार के बच्चों के मुंह से ये बात