फुटपाथ पर रहने वाली शांति बहुत समय से बीमार थी। उसका पति दो वर्ष पहले ही उसे छोड़ कर परलोक सिधार गया था। शांति का जीवन फुटपाथ पर शुरू हुआ था और उसे लग रहा था कि वहीं उसके जीवन का अंत भी हो जाएगा। इस तरह सोचते हुए शांति की नींद लग रही थी, किंतु बार-बार बाजू में सोते अपने बेटे के लिए वह चिंतातुर हो जाती और उसकी नींद लगने से पहले ही खुल भी जाती। छोटी-छोटी बीमारियों ने दवा ना मिलने के कारण बड़ा रूप ले लिया था, ऊपर से बच्चे की चिंता। यदि उसका मुन्ना, प्रेम