अंक ४०. सुहानी सुबह ? दुसरे दिन सुबह | सुबह के लगभग लगभग ७ बज रहे थे | अंश हमेशा की तरह अपने घर की छत पर सोता है लेकिन आज वो घर ही नहीं आया हुआ था क्योकी वो हवेली पे दिव्या के साथ ही रुक गया था और दिव्या और अंश दोनों हवेली की छत पर सोए हुए थे | दोनों एक दुसरे की बाहोमे बड़े प्यार से सोए हुए थे | आसमान शिर चढ़ चूका था फिर भी दोनों गहेरी नींद में थे और शायद बड़े दिनों बाद आज दिव्या को चेन की नींद आई होगी