जीवन सूत्र 15 और 16 :आपके पास ही है अक्षय शक्ति वाली आत्मा, आत्मशक्ति का लोकहित में हो विस्तार गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जिज्ञासु अर्जुन से कहा है:- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।(2/23)। इसका अर्थ है, भगवान कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन,इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते,आग जला नहीं सकती,जल गला नहीं सकता और वायु सुखा नहीं सकता। दूसरे अध्याय के इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से आत्मा की प्रकृति को स्पष्ट किया है। सभी लोगों के भीतर प्रकाशित यह आत्मा अपनी प्रकृति में विलक्षण है।जल में रहकर