दामिनी वह सब कला जानती है जिससे अभय को अपने अनुकूल बनाया जा सके । जैसे ही दामिनी को अभय ने कहा कि मुझे अब तो" तुम पर भी शक होने लगा है । कही तुम भी केतकी की तरह मुझे धोखा तो नहीं दे रही । केतकी जब मेरे साथ थी तो" ऐसा कभी लगा कि उसके दिल दिमाग में कोई खिचड़ी पक रही है । दामिनी ने अभय के मन की उद्विग्नता समझ ली' और उसके करीब जाकर प्रणय निवेदन करने लगी । दामिनी को हृदय के समीप देखकर उसका सुकोमल स्पर्श पाकर अभय जो कहना चाह रहा