हमेशा याद रहेगा वो एक कप चाय का प्याला, बहुत स्पेशल जो था। होता भी क्यूं ना? किसी के प्यार की मिठास जो थी इसमें। जिंदगी की भागमभाग में न जाने कहां खो गई वो चाय की चुस्की.. वो स्वाद और वो मिट्टी का प्याला...। जो हर सुबह अन्नपूर्णा देवी के नाम के बाद ही गले में उतारी जाती थी। यह स्वाद अब मेरी जीभ को फिर कभी नसीब नहीं होगा। यह भी चला गया उसी के साथ, जो अपनी मखमली आवाज और नरम हथेलियों के साथ मेरे हाथों में पकड़ाया जाता था...। मलाल तो इस बात का रहेगा, एक